दुष्यंत कुमार की रचना"हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए" #दुष्यंतकुमार ...

1 टिप्पणी:

  1. मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
    हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
    दुष्यंत कुमार जी की क़लम लिखने वालों के लिए प्रेरणा-स्रोत है।
    https://www.drmullaadamali.com/2022/08/ho-gayi-hai-peer-parvat-si.html

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